नल जल आपूर्ति प्रदान करने के लिए जागरूकता और सामुदायिक
नल जल आपूर्ति प्रदान करने के लिए जागरूकता और सामुदायिक
भागीदारी पैदा करने में मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका : भरत लाल
जल जीवन मिशन के तहत 28 महीने में 5.44 करोड़ से अधिक घरों में नल से जल की आपूर्ति विषय पर मीडिया की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए अतिरिक्त सचिव और राष्ट्रीय जल जीवन मिशन के मिशन निदेशक श्री भरत लाल ने कहा “जल जीवन मिशन के बारे में जागरूकता पैदा करने में मीडिया की अहम भूमिका है। इसके साथ ही ग्रामीण घरों में नियमित और लंबी अवधि तक स्वच्छ नल जल आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए समुदायों को अपने गांव में उसकी जिम्मेदारी, संचालन और प्रबंधन लेने के प्रति जागरूक करने में भी मीडिया की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है। वे नई दिल्ली में यूनिसेफ द्वारा आयोजित राष्ट्रीय मीडिया संवाद में मुख्य वक्ता के रूप में अपने विचार रख रहे थे।
नल का पानी उपलब्ध कराने, स्वास्थ्य में सुधार लाने और ग्रामीण आबादी विशेषकर ग्रामीण भारत में महिलाओं और बच्चों के लिए जीवन को आसान बनाने जैसे जल जीवन मिशन के सामुदायिक आधारित संदेशों को पहुंचाने में मीडिया की महत्वपूर्ण भागीदारी को स्वीकारते हुए श्
भरत लाल ने मीडियाकर्मियों से कहा वह लोगों को स्वच्छ नल के पानी के विभिन्न पहलुओं से अवगत कराए और जल जीवन मिशन को जन आंदोलन बनाने में मदद करें।
प्रिंट, ऑनलाइन, रेडियो और टीवी के 80 से अधिक राष्ट्रीय और राज्य स्तर के मीडिया प्रतिनिधियों ने 'जल जीवन मिशन पर मीडिया के साथ संवाद' कार्यक्रम में भाग लिया। जिसका उद्देश्य सभी ग्रामीण घरों में स्वच्छ नल जल आपूर्ति प्रदान करने में मिशन के लक्ष्य, उद्देश्यों, प्राथमिकताओं और उपलब्धियों की जानकारी उपलब्ध कराने पर केंद्रित था। इस अवसर पर यूनिसेफ इंडिया के वाश चीफ श्री निकोलस ऑस्बर्ट, और यूनिसेफ इंडिया की चीफ, कम्युनिकेशन, एडवोकेसी एंड पार्टनरशिप सुश्री जफरीन चौधरी भी उपस्थित थे।
मिशन के आदर्श वाक्य कि 'कोई भी नहीं रहेगा वंचित' और हर गांव में नल के पानी की आपूर्ति के प्रबंधन के लिए एक उत्तरदायी और जिम्मेदार नेतृत्व विकसित करने के बारे में बताते हुए, श्री भरत लाल ने कहा कि इसका उद्देश्य हर गांव को 'वाश प्रबुद्ध गांव' बनाना है। जल जीवन मिशन के कार्यान्वयन में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए, उन्होंने कहा कि जल जीवन मिशन के बारे में सभी जानकारी सार्वजनिक डोमेन में है।
उन्होंने जेजेएम डैशबोर्ड के माध्यम से मजबूत प्रौद्योगिकी, डिजिटल गवर्नेंस और सेंसर आधारित आईओटी प्रणाली के बारे में जानकारी दी। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कैसे भारत भर के लाखों ग्रामीण परिवारों को स्वच्छ नल का पानी उपलब्ध कराकर, महिलाओं और बच्चों के जीवन में सदियों से चले आ रहे कठिन परिश्रम के बोझ को कम किया जा रहा है। श्री भरत लाल ने कहा, ‘मिशन के तहत सभी ग्रामीण घरों के साथ-साथ हर स्कूल, आंगनवाड़ी केंद्रों, पीएचसी, सीएचसी, सामुदायिक केंद्रों आदि को स्वच्छ नल के पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करना है।’
यूनिसेफ इंडिया के वाश चीफ श्री निकोलस ऑस्बर्ट ने मीडिया को आमंत्रित करते हुए कहा कि वे जेजेएम में सक्रियता से भागीदारी करे। और इस अवसर को इस्तेमाल करे , जिससे हर घर में स्वच्छ नल के पानी की आपूर्ति प्रदान हो सके और समुदायों को सशक्त बनाया जा सके। ऐसा कर वह स्वच्छता, और पर्यावरण को टिकाऊ बनाने में अहम भूमिका निभाए।
वीएपी में पेयजल स्रोतों की मजबूती/उनके संवर्धन, जल आपूर्ति बुनियादी संरचना विकसित करना, ग्रे वाटर ट्रीटमेंट और उनके दोबारा इस्तेमाल, और गांव में जल आपूर्ति प्रणाली के संचालन और रखरखाव के कार्य शामिल हैं। मिशन के तहत वीडब्ल्यूएससी / पानी समिति में आधी सदस्य महिलाएं होना जरूरी है। किसी भी घर में प्राथमिक जल प्रबंधक होने के नाते इन चर्चाओं में महिलाओं की भागीदारी को प्रोत्साहित किया जाता है। राज्य विस्तृत प्रशिक्षण और कौशल कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं, विशेष रूप से पानी की गुणवत्ता के लेकर 5 व्यक्तियों की निगरानी समूह पर जोर दिया जा रहा है। जिनमें से हर गांव में ज्यादातर महिलाएं , स्थानीय व्यक्ति जैसे राजमिस्त्री, प्लंबर, इलेक्ट्रीशियन, मोटर मैकेनिक, फिटर और पंप ऑपरेटर शामिल हैं।
जल आपूर्ति और बेहतर स्वच्छता पर सरकार के जोर को देखते हुए, 15वें वित्त आयोग ने 26,940 करोड़ रुपये का अनुदान 2021-22 के लिए आरएलबी/ पीआरआई को दिया गया है। इसके तहत पीने के पानी की आपूर्ति, बारिश के पानी का संचयन और जल पुनर्चक्रण और स्वच्छता और ओडीएफ स्थिति के रखरखाव पर खर्च किए जाएंगे।
2019 में मिशन की शुरुआत में, देश के 19.20 करोड़ ग्रामीण परिवारों में से केवल 3.23 करोड़ (17 फीसदी) को नल के पानी की आपूर्ति होती थी। कोविड-19 महामारी और उसके बाद के लॉकडाउन के कारण खड़ी चुनौतियों का सामना करने के बाद भी, मिशन के शुरुआत के बाद से 5.44 करोड़ (28.31 फीसदी) से अधिक परिवारों को नल के पानी की आपूर्ति प्रदान की गई है। वर्तमान में, 8.67 करोड़ (45.15 फीसदी) ग्रामीण परिवारों को नल का पानी उपलब्ध कराया गया है। गोवा, तेलंगाना, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव, पुडुचेरी और हरियाणा राज्य 'हर घर जल' बन गए हैं। यानी इन राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों के सभी ग्रामीण घरों में नल के पानी की आपूर्ति की जा चुकी है।
अब तक 4.5 लाख गांवों में वीडब्ल्यूएससी या पानी समिति का गठन किया गया है और 3.37 लाख गांवों के लिए ग्राम कार्य योजना तैयार की गई है। फील्ड टेस्ट किट (एफटीके) का उपयोग करके पानी की गुणवत्ता का परीक्षण करने के लिए 8.5 लाख से अधिक महिला स्वयंसेवकों को प्रशिक्षित किया गया है। वे नमूने एकत्र करती हैं और इसकी गुणवत्ता का परीक्षण करती हैं ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि आपूर्ति किया गया पानी निर्धारित मानकों के अनुसार है। एफटीके की परीक्षण रिपोर्ट जेजेएम पोर्टल पर अपलोड की जाती है। आज, देश में 2,000 से अधिक जल परीक्षण प्रयोगशालाएं हैं। जो पानी की गुणवत्ता का परीक्षण करने के लिए मामूली कीमत पर जनता के लिए उपलब्ध हैं।
जल जीवन मिशन के तहत, पानी की कमी वाले क्षेत्रों, गुणवत्ता प्रभावित गांवों, आकांक्षी जिलों, एससी/एसटी बहुसंख्यक गांवों और सांसद आदर्श ग्राम योजना (एसएजीवाई) गांवों को प्राथमिकता दी जाती है। इस दौरान जेई-एईएस प्रभावित जिलों में नल के पानी की आपूर्ति बढ़ गई है। जो कि 8 लाख (3 फीसदी) घरों से 1.19 करोड़ (39.38 फीसदी) घरों में पहुंच गया है। इसी तरह आकांक्षी जिलों में यह 24 लाख (7 फीसदी) घरों से बढ़कर 1.28 करोड़ (38 फीसदी) घरों तक पहुंच गया है।